सोमवार, 23 मार्च 2009

वेदना के अनसुने स्वर

पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान से छह हजार हिंदू जान और इज्जत बचाकर भारत आए हैं। इन परिवारों की आप बीती रोंगटे खड़ी करती है। वे सरकारी नौकरियों में जा नहीं सकते, घर की इज्जत भी हर वक्त खतरे में रहती है। दहशत की जब अति हो गई, सांस लेना दूभर हो गया तब उन्होंने सदियों से चला आ रहा घर और कामकाज छोड़कर भारत आने का निर्णय क्यों किया? यह बात यहां का कोई राजनीतिक दल समझ सकेगा? पाकिस्तानी हिंदुओं की जो पीढ़ी भारत आई है वह भारत से उतनी ही अजनबी है जितनी वह बांग्लादेश या इंग्लैंड से होगी। वे भारत इसलिए आते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां उन्हें सुरक्षा मिलेगी। इस पृथ्वी पर कहींभी कभी भी यदि हिंदुओं को कोई कष्ट होता है तो वे भारत माता की गोद मंें आ दुबकते हैं-चाहे उनका पासपोर्ट किसी भी देश का क्यों न हो। पर उन चैनलों और मीडिया के अन्य साधनों के लिए पाकिस्तानी हिंदुओं की व्यथा कथा महत्वहीन ही रही जिन्होंने मंगलूर में एक पब की घटना को दुनिया भर में हिंदुओं का चेहरा विकृत दिखाने के लिए तूफान की तरह फैला दिया था। भारत का कौन-सा राजनीतिक दल ऐसा है जो हिंदू व्यथा पर आक्रोश व्यक्त करने या हिंदू रक्षा के लिए वोट बैंक और चुनावी जीत-हार के पेंच भूलकर खड़ा हो? हिंदू हित के बारे में असंदिग्ध निष्ठा और असमझौतावादी दृढ़ता से समाज को खड़ा करने में स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, श्री अरविंद, डा. हेडगेवार ही नहीं, गांधीजी और डा. लोहिया का भी अप्रतिम योगदान है। 23 मार्च को डा. राममनोहर लोहिया की जन्म शताब्दी शुरू हो रही है। आज की राजनीति में विभिन्न दलों में ऐसे प्रमुख नेता हैं जो स्वयं को लोहिया जी का विचार अनुगामी कहने में संकोच नहीं करते। इनमें मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव जैसे आज के लोकप्रिय नेता भी शामिल हैं। यहां मैं 12 अप्रैल, 1964 को डा. राममनोहर लोहिया तथा तत्कालीन जनसंघ के नेता पं. दीनदयाल उपाध्याय द्वारा संयुक्त रूप से जारी बयान का एक अंश दे रहा हूं। दो भिन्न विचारों के दलों के नेताओं का यह संयुक्त बयान आज के युग में एक अचंभा ही माना जाएगा। उस बयान में कहा गया था-पूर्वी पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर हुए दंगों ने दो लाख से अधिक हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को भारत आने पर मजबूर किया है। पूर्वी बंगाल में हुई घटनाओं से स्वाभाविक रूप से भारतीयों में उत्तेजना है। हमारा यह दृढ़ मत है कि पाकिस्तान के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा की गारंटी देना भारत सरकार की जिम्मेदारी है। इस मामले में निरा कानूनी दृष्टिकोण लेते हुए यह कहना कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू पाकिस्तानी नागरिक हैं, खतरनाक होगा। जहां तक भारतीय मुसलमानों का संबंध है, हमारा यह दृढ़ मत है कि अन्य सभी नागरिकों के समान सभी परिस्थितियों में उनके जीवन और संपत्ति की रक्षा की जानी चाहिए। कोई भी घटना या तर्क इस सच्चाई से समझौता करने को सही नहींठहरा सकते। एक राज्य जो अपने नगारिकों को जीने के अधिकार की गारंटी नहींदे सकता और ऐसे नागरिक जो अपने पड़ोसियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते, बर्बर ही कहलाएंगे। हमारा यह मानना है कि दो भिन्न देशों के रूप में पाकिस्तान का अस्तित्व एक कृत्रिम स्थिति है। दोनों सरकारों के संबंध में मनमुटाव असंतुलित दृष्टिकोण और टुकड़ों में बात करने की प्रवृत्ति का परिणाम है। दोनों सरकारों के बीच चलने वाला संवाद टुकड़ों में न होकर निष्पक्षता से होना चाहिए। खुले दिल से होने वाली ऐसी बातचीत से ही विभिन्न समस्याओं का समाधान निकल सकता है, सद्भावना पैदा की जा सकती है और किसी प्रकार के भारत-पाकिस्तान महासंघ बनाने की दिशा में शुरुआत की जा सकती है। इन दोनों महानायकों के अनुयायी क्या आज पैंतालिस साल बाद साथ मिलकर यह बयान दोबारा जारी कर सकेंगे? पिछले दिनों पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ भारत आए थे। एक साहसी पत्रकार प्रेरणा कौल ने मुशर्रफ से पूछा कि मैं कश्मीरी पंडित हूं, मेरा घर श्रीनगर में है, लेकिन मैं अपने घर नहीं जा सकती, होटल में रुकना पड़ता है, वहां जाना नामुमकिन ंहै। आप बता सकेंगे कि क्या हम वहां लौट सकेंगे? मुशर्रफ एक क्षण को सन्नाटे में आ गए। पे्ररणा कौल के सवाल का जवाब भारत को भी देना होगा। वे लोग जो चुनाव लड़ रहे हैं वे जब भारत में ही हिंदुओं की रक्षा नहीं कर पाते और बेघर कर दिए गए हिंदुओं को अपने ही देश में अपने घर नहीं लौटा पा रहे हैं तो उनसे पाकिस्तान या बांग्लादेश में हिंदुओं को बचाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? भारत के राजनेता एक ऐसी आत्मदैन्यता से ग्रस्त हैं कि यदि प्राचीन सांस्कृतिक नगर अनंतनाग को इस्लामाबाद करने का प्रस्ताव कश्मीर विधानसभा में आए या कंधमाल में हिंदुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता प्रभात पाणिग्रह की हत्या कर दी जाए तो खामोशी छाई रहती है, लेकिन एक वरुण गांधी के बयान पर उन्हें अस्पृश्य बनाने की कोशिश होती है। क्यों? जिन्होंने वरुण गांधी का विरोध किया, क्या उन्होंने एक बार भी पीलीभीत में हिंदुओं की दीन-हीन स्थिति का सर्वेक्षण करने की जरूरत समझी? पीलीभीत से कासरगौड़ (केरल) तक ऐसी ही स्थिति है। मैं पिछले दिनों महाराष्ट्र में लातूर और जालना के प्रवास पर गया था। वहां के स्थानीय समाचार पत्र इस प्रकार के समाचारों से भरे हुए थे कि स्थानीय मुस्लिम युवकों को लव जिहाद के लिए पैसे दिए जा रहे हैं ताकि वे कालेज जाने वाली हिंदू लड़कियों को प्रेम-पाश में फंसाकर मतांतरित कर शादी कर लें। इसकी छानबीन कौन करेगा? इस हिंदू बहुल देश की राजनीति में सब दलों में हिंदू होने के बावजूद हिंदू वेदना के प्रति इतनी उपेक्षा क्यों दिखती है? (लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

गुरुवार, 12 मार्च 2009

हिन्दू मिटाओ - हिन्दू भगाओ अभियान

1985 में अलकायदा की स्थापना ने बाद बाकी सारी दुनिया की तरह भारत में भी मुस्लिम जिहादियों को नये सिरे से संगठित होने का मौका मिला । जिसका परिणाम कश्मीर घाटी में 1989-90 में मुस्लिम जिहादियों द्वारा हिन्दू मिटाओ- हिन्दू भगाओ अभियान के रूप में देखने को मिला । जिसके परिणामस्वरूप आज सारी कश्मीर घाटी को हिन्दुविहीन कर दिया गया । जिस तरह ये सैकुलर गिरोह हिन्दुओं पर किय गए हर हमले के बाद राम मन्दिर का तर्क देकर इसे बदले में की गई कार्यवाही बताकर सही ठहराने का दुससाहस करता है। अगर इनके इस तर्क को माना जाए तब तो जिस तरह मुस्लिम जिहादियों ने मुस्लिमबहुल कश्मीर घाटी से सब हिन्दुओं का सफाया कर दिया उसी तरह बदले में हिन्दुओं को सारे हिन्दुबहुल भारत से मुसलमानों का सफाया कर देना चाहिये । जिस तरह कश्मीर में वहां की मुस्लिम पुलिस ,प्रैस, नेताओं ने मुसलमानों के हिन्दुमिटाओ-हिन्दुभगाओ अभियान को सफल बनाने में हर तरह का सहयोग दिया तो इनके इस तर्क के अनुसार सब हिन्दू पुलिस, प्रैस व मीडिया व नेताओं को हिन्दुओं के इस मुस्लिम मिटाओ मुस्लिम भगाओ अभियान में सहयोग करना चाहिए । जिस तरह हुरियत कान्फ्रैंस ने सारे देश व संसार के मुसलमानों का समर्थन आर्थिक सहयोग इन मुसलमानों के हिन्दू मिटाओ हिन्दू-भगाओ अभियान के लिए जुटाया वैसा ही समर्थन व आर्थिक सहयोग सब हिन्दू संगठनों को मिलकर हिन्दुओं के इस अभियान को सफल बनाने के लिए जुटाना चाहिए ।
अतः हम तो यही कहेंगे कि अगर हिन्दू इस तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रहे हैं तो उसे उनकी कमजोरी मानकर उन्हें साम्प्रदादिक व आतंकवादी कहकर दुनिया में फजूल में बदनाम न किया जाए क्योंकि जिस दिन हिन्दुओं ने इस बदनामी से तंग आकर इसे यथार्थ में बदलने का मन बना लिया उस दिन न हिन्दुओं पर हमला करने वाले बचेंगे न हमलों का समर्थन करने वाले बचेंगे । हिन्दू मुस्लिम जिहादियों के हर हमले को सहन कर रहे हैं अपने हिन्दू भाईयों को अपने सामने कत्ल होता देख रहे हैं। फिर भी इन्सानित व मानवता की रक्षा की खातिर खामोश हैं पुलिस प्रशासन सरकार से न्याय की उम्मीद लगाये बैठे हैं । दूध पीते बच्चों तक को इन जिहादियों ने मार्च 1998 में मुस्लिम जिहादियों द्वारा कत्ल किया गया दूध पीता बच्चा आज 21बीं शताब्दी में हिन्दुबहुल भारत में हलाल कर दिया। सब तमाशा देखते रहे हिन्दू को ही बदनाम करते रहे और हिन्दू फिर भी खामोश रहा । अल्पसंख्यकवाद के नाम पर ईसाईयों व मुसलमानों के बच्चों को विशेषाधिकार देकर हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रख दिया फिर हिन्दू खामोश रहा । सेना में हिन्दुओं की अधिक संख्या पर सवाल उठा दिया गया फिर भी हिन्दू खामोश रहा । हिन्दुओं के लगभग हर सन्त को बदनाम करने का दुस्साहस किया फिर भी हिन्दू खामोश रहा । अन्त में हिन्दू धर्म के आधार स्तम्भ भगवान राम के अस्तित्व को नकार दिया फिर भी हिन्दू खामोश रहा । ये सब कुछ सहने के बाद हिन्दू को दुनिया भर में आतंकवादी कहकर बदनाम कर दिया हिन्दू फिर भी खामोश रहा । लेकिन अब हिन्दू खामोश नहीं बैठने वाला । अब उसने इन हमलों से खुद निपटने का मन बना लिया है अब वो समझ गया है कि ये वो ही मुस्लिम जिहादी हमला है जिसका सामना हिन्दुओं ने सैंकड़ों वर्षों तक किया है। इस आतंकवादी हमले का सामना हमें कृष्ण देवराय, रानी दुर्गावती, बन्दा सिंह बहादुर जैसे महान योद्धाओं की तरह ही करना पड़ेगा । इसके लिए हमें वो सब मार्ग अपनाने होंगे जो मुस्लिम आतंकवादी हिन्दुओं को मारने के लिए अपना रहे हैं । हमें महाराणा प्रताप व छत्रपति शिवाजी जैसे वीर योद्धाओं के उस सबक को फिर से याद करना होगा जिसके अनुसार मुस्लिम आतंकवाद को खत्म करने के लिए मुस्लिम जिहादियों को ढूंढ-ढूंढ कर उनके घर में घुस कर मारना होगा । हमें वीर योद्धा पृथ्वीराज राज द्वारा की गई गलती से मिले सबक को याद रखकर उस पर अमल करना होगा । अगर वीर योद्धा पृथ्वी राज कब्जे में आये उस मुस्लिम जिहादी राक्षस मुहमद गौरी को न छोड़ता तो हिन्दुओं को इतना नुकसान न उठाना पड़ता। हिन्दुओं को गीता के इस उपदेश पर हर वक्त अमल करने की जरूरत है । धर्मों रक्षति रक्षितः
हम हर बार इन मुस्लिम जिहादी राक्षसों के प्रति दया दिखाने की बेवकूफी करते हैं और नुकसान उठाते हैं। क्या आपको याद है कि जिस मुस्लिम जिहादी ने धन तेरस के दिन दिल्ली में बम्ब विस्फोट कर सैंकड़ों हिन्दुओं की जान ली । विस्फोट वाले स्थान पर बच्चों की सैंडलों के ढेर लग गए। उस स्थान पर चारों तरफ मानव के मांस के जलने की दुर्गंध फैल गई । वो मुस्लिम जिहादी एक बार पुलिस ने पकड़ कर सरकार के हवाले कर दिया था । उसे सैकुलर जिहाद समर्थक सरकार ने पढ़ालिखा निर्दोष बताकर छोड़ दिया था ।
एक बात तो साफ और स्पष्ट है कि सारा जिहाद समर्थक सेकुलर गिरोह अपनी इतनी बेवकुफीयों की वजह से इतने हिन्दुओं का कत्ल करवाने के बावजूद कुछ सीखने को तैयार नहीं है। न मुस्लिम आतंकवादियों की हर हरकत को जायज ठहराने वाले जावेद अखत्र, फारूकी, अब्दुल रहमान अंतुले जैसे आतंकवादियों को अलग थलग करने की किसी भी कोशिश का साथ देने को तैयार हैं । तो फिर कानून से इस समस्या का समाधान कैसे निकल सकता है क्यों कि अगर ये गिरोह सरकार में है तो खुद मुस्लिम जिहादियों के विरूद्ध कार्यवाही करेगा नहीं और अगर करना भी चाहेगा तो इसके मुस्लिम जिहादियों के समर्थक सहयोगी करने नहीं देंगे । अगर ये जिहाद व धर्मांतरण समर्थक गठवन्धन विपक्ष में है तो सरकार को आतंकवादियों के विरूद्ध कठोर व निर्णायक कार्यवाही करने नहीं देगा । आतंकवादियों के विरूद्ध कार्यवाही को मुसलमानों के विरूद्ध कार्यवाही करार देकर अपल्पसंख्यकों पर हमला बताकर मुसलमानों को भड़कायेगा । सारी दुनिया में हिन्दुओं व भारत को मुस्लिम विरोधी बताकर बदनाम करेगा ।

अब इन सब हालात में सिर्फ तीन समाधान के रास्ते बचते हैं।

पहला सब शान्तिप्रिय देशभक्त लोग अपने छोटे-छोटे निजी स्वार्थ भुलाकर मिलकर सिर्फ एक बार इस तरह वोट करें कि आने वाले चुनावों में भाजपा को दो तिहाई बहुमत देकर इस आतंकवाद समर्थक गिरोह के सब सहयोगियों के उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त करवायें ताकि ये देशद्रोही सेकुलर गिरोह विपक्ष में बैठने के भी काबिल न रहे और अगर रहे तो इतनी कम संख्या में कि ये सरकार द्वारा किये जा रहे किसी भी आतंकवाद विरोधी काम में टांग न अड़ा सकें । अगर इसके बाद भी भाजपा इस समस्या का हल न कर पाये तो भाजपा अपने आप सेना को बुलाकर अपने राष्ट्रवादी होने का प्रमाण देकर देश की बागडोर सेना के हाथ में सौंप दे ।

अगर भाजपा न खुद आतंकवादियों के विरूध निर्णायक कार्यवाही करे न सता सेना को सौंपे तो जनता उसका भी आने वाले चुनाव में सेकुलर गिरोह की तरह सफाया कर किसी ज्यादा देशभक्त विकल्प को सता में लाए।

दूसरा सेना शासन अपने आप अपने हाथ में लेकर सब जिहादियों व उनके समर्थकों का सफाया अपने तरीके से करे । सब देशभक्त संगठन खुले दिल से सेना की इस कार्यवाही का सहयोग करें ।

तीसरा अगर इन में से कुछ भी न हो पाय तो फिर हर देशभक्त हिन्दू -परिवार गुरू तेगबहादुर जी के परिवार के मार्ग पर चलकर उन की शिक्षाओं को अमल में लाते हुए धर्म की रक्षा की खातिर लामबंद हो जाए और कसम उठाये कि जब तक इन मुस्लिम जिहादी राक्षसों,वांमपंथी आतंकवादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों का इस अखण्ड भारत से नामोनिशान न मिट जाए तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे चाहे इसके लिए कितने भी बलिदान क्यों न देने पड़ें ।

हम ये दावे के साथ कह सकते हैं कि पहला और दूसरा समाधान सब हिन्दुओं बोले तो हिन्दू सिख ईसाई बौध जैन मुसलमान सब शान्तिप्रय देशभक्त देशवासियों के हित में है । इसलिए सब देशभक्त लोगों को मिलकर इस हल को कामयाब बनाने का अडिग निर्णय कर समस्या का समाधान निकाल लेना चाहिये ।

पर देश की परस्थितियों व इस देशद्रोही सेकुलर गिरोह की फूट डालो और राज करो के षड्यन्त्रों को देखते हुए इस समस्या का लोकतान्त्रिक हल असम्भव ही दिखता है क्योंकि आज मुसलमान इस सेकुलर गिरोह के दुशप्रचार से प्रभावित होकर हर हाल में उस दल को एक साथ वोट डालता है जो उसे सबसे ज्यादा हिन्दुविरोधी-देशविरोधी दिखता है । ईसाई ईसाईयत को आगे बढ़ाने वालों व धर्मांतरण की पैरवी करने वालों को वोट डालता है ।

बस एक हिन्दू है जिसका एक बढ़ा हिस्सा आज भी मुसलमानों व ईसाईयों द्वारा अपनाइ जा रही हिन्दुविरोधी वोट डालो नीति को नहीं समझ पा रहा है और अपने खून के प्यासे इस सेकुलर गिरोह को वोट डालकर अपने बच्चों का भविष्य खुद तवाह कर रहा है। हिन्दू इस देशविरोधी-हिन्दुविरोधी नीति को धर्मनिर्पेक्षता मानकर हिन्दूविरोधियों को वोट डालकर अपनी बरबादी को खुद अपने नजदीक बुला रहा है । हिन्दू की स्थिति विलकुल उस कबूतर की तरह है जो बिल्ली को अपनी तरफ आता देखकर आंखे बंद कर यह मानने लग पड़ता है कि खतरा टल गया और बिल्ली बड़े आराम से उसका सिकार करने में सफल हो जाती है ।

सारे आखण्ड भारत में चुन-चुन कर बहाया गया व बहाया जा रहा हिन्दुओं का खून चीख-चीख कर कह रहा है कि इन मुस्लिम जिहादियों व उनके सहयोगी इस देशबिरोधी सैकुलर गिरोह का हर हमला सुनियोजित ढंग से हिन्दुओं को मार-काट कर, उनकी सभ्यता संस्कृति को तबाह कर अपने देश भारत से हिन्दुओं का नमो-निसान मिटाकर सारे देश को मुस्लिम जिहादी राक्षसों व धर्मांतरण के ठेकेदारों के हवाले करने के लिए किया जा रहा है । परन्तु हिन्दू की बन्द आंख है कि खुलती ही नहीं ।

अगर सिर्फ एक बार हिन्दू इन धर्मनिर्पेक्षता के चोले में छुपे हिन्दूविरोधियों की असलियत को समझ जाए तो अपने आप इन सब गद्दारों का नामोनिशान मिट जाएगा पर दिल्ली के चुनाव परिणाम ने दिखा दिया कि हिन्दुओं का बढ़ा वर्ग अभी भी इन देशद्रोहियों की असलियत को नहीं पहचान पाया है ।उसने फिर उस दल को वोट कर दिया जिसने पोटा हटाकर व अफजल को फांसी न देकर मुस्लिम जिहादियों का हौसला बढ़ाकर शहीदों के बलिदान का अपमान कर हजारों हिन्दुओं को कत्ल करवा दिया जबकि सब मुसलमानों ने मिलकर मुस्लिम आतंकवादियों का समर्थन करने वाले सेकुलर गिरोह को बोट डाला ।

अतः सैनिक शासन ही इन दो में से ज्यादा सम्भव दिखता है वो भी कम से कम 20-25 वर्ष तक । अगर सेना अपने आप को देश की सीमांओं की रक्षा तक सीमित रखती है तो हिन्दूक्राँति ही सारी समस्या का एकमात्र सरल हल है जिसकी देश को नितांत आवश्यकता है। हिन्दूक्राँति तभी सम्भव है जब सब देशभक्त हिन्दू संगठन एक साथ आकर, आतंकवादियों को समाप्त करने की प्रक्रिया से सबन्धित छोटे-मोटे मतभेद भुलाकर, अपने-अपने अहम भुलाकर गद्दार मिटाओ अभियान चलाकर इन देशद्रोहियों को मिटाकर भारत को इस कोढ़ से मुक्त करवायें। इस अभियान में जो भी साथ आता है उसे साथ लेकर, जो बिरोध या हमला करता है उसे मिटाकर आगे बढ़ने की जरूरत है ।

क्योंकि समाधान तो तभी सम्भव है जब हिन्दुओं का खून बहाने वालों को उनके सही मुकाम पर पहुँचाया जाए व सदियों से इतने जुल्म सहने वाले हजारों वर्षों तक अपने हिन्दू राष्ट्र की रक्षा के लिए खून बहाने वाले हिन्दुओं के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए उन्हें उनके सपनों का राम राज्य बोले तो हिन्दूराष्ट्र भारत सदियों से काबिज होकर बैठे आक्राँताओं से मुक्त मिले । हिन्दुओं को क्यों अपने शत्रु और मित्र की समझ नहीं हो पा रही ? क्यों हिन्दू आतमघाती रास्ते पर आगे बढ़ रहा है ? क्यों उसको समझ नहीं आता कि जयचन्द की इस हिन्दुविरोधी मुस्लिमपरस्त सोच ने हिन्दुओं को अपूर्णीय क्षति पहुँचाई है ? जिहादी आतंकवाद व धर्मांतरण समर्थक ये सैकुलर सोच हिन्दुओं की कातिल है । मुस्लिम जिहादियों द्वारा 24 मार्च 2003 को हिन्दुओं का नरसंहार वैसे भी ये आत्मघाती सोच सैंकड़ों वर्षों की गुलामी का परिणाम है अब हमें अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए इस आत्मघाती गुलामी की सोच से बाहर निकलना है। न केवल खुद को बचाना है बल्कि इस देशविरोधी सैकुलर गिरोह के सहयोग से मुस्लिम जिहादियों के हाथों कत्ल हो रहे अपने हिन्दू भाईयों भी को बचाना है। इनकी रक्षा में ही हमारी रक्षा है क्योंकि जिस तरह आज बो मारे जा रहे हैं अगर आज हम संगठित होकर एक साथ मिलकर इन मुस्लिम जिहादियों से न टकराये तो बो दिन दूर नहीं जब उसी तरह हम भी इन राक्षसों द्वारा इन धर्मनिर्पेक्षताबादी जयचन्दों के सहयोग से मारे जायेंगे । अगर अब भी आपको लगता है कि हिन्दुओं का कत्ल नहीं हो रहा है, ये हमले मुस्लिम जिहादियों द्वारा हिन्दुओं पर नहीं किये जा रहे, हिन्दुओं का नमो-निसान मिटाने के लिए मुसलमानों द्वारा हिन्दू-मिटाओ हिन्दू भगाओ अभियान नहीं चलाया जा रहा । क्योंकि ये देशद्रोही जिहाद समर्थक सैकुलर गिरोह आपको इस सच्चाई से दूर रखने के लिए हिन्दुविरोधी मीडिया का सहारा लेकर यही तो प्रचारित करवाता है ।

तो जरा ये कश्मीर घाटी से हिन्दुओं को मार काट कर भगाने के लिए चलाए गय सफल अभियान के बाद मुसलमानों द्वारा जम्मू के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में चलाए जा रहे हिन्दू मिटाओ-हिन्दू भगाओ अभियान के दौरान हलाल किये जा रहे हिन्दुओं का विबरण देखो और खुद सोचो कि किस तरह मुस्लिम जिहादियों ने हिन्दुओं का कत्लेआम इन धर्मनिर्पेक्षतावादियों का सरंक्षण पाकर बेरोक टोक किया जो आज भी जारी है !
अलकायदा की स्थापना 1985 में होने के बाद कश्मीर में अल्लाह टायगरस नामक जिहादी संगठन ने 1986 आते-आते वहां की मुस्लिमपरस्त जिहादी आतंकवाद समर्थक सैकुलर सरकार के रहमोकर्म व सहयोग से अपने आपको इतना ताकतवर बना लिया कि ये हिन्दुओं के विरूद्ध खुलेआम जहर उगलने लगा । जिसके परिणांस्वरूप हिन्दुओं पर पहला हमला 1986 मे अन्नतनाग में हुआ । दिसम्बर 1989 में जोगिन्दर नाथ जी का नाम अन्य तीन अध्यापकों के साथ नोटिस बोर्ड पर चिपकाकर उसे घाटी छोड़ने की धमकी दी गई । ये तीनों राधाकृष्ण स्कूल मे पढ़ाते थे । धमकाने का सिलसिला तब तक जारी रहा जब तक जून 1989 में जोगिन्दर जी वहां से भाग नहीं गए । हमें यहां पर यह ध्यान में रखना होगा कि हिन्दु मिटाओ हिन्दु भगाओ अभियान चलाने से पहले 1984-86 के वीच में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुस्लिम जिहादीयों को भारतीय कश्मीर में वसाया गया और घाटी में जनसंख्या संतुलन मुस्लिम जिहादियों के पक्ष में वनाकर हिन्दुओं पर हमले शुरू करवाय गए। ये सब पाकिस्तान के इसारे पर इस सेकुलर गिरोह की सरकारों ने किया। 2 फरवरी 1990 को सतीश टिक्कु जी जोकि एक समाजिक कार्यकर्ता व आम लोगों का नेता था, को जिहादियों ने शहीद कर दिया । 23 फरवरी को अशोक जी, जो कृषि विभाग में कर्मचारी थे, की टाँगो में गोली मारकर उन्हें घंटों तड़पाकर बाद में सिर में गोली मारकर उनका कत्ल कर दिया गया । एक सपताह बाद इन मुस्लिम जिहादियों द्वारा नवीन सपरु का कत्ल कर दिया गया । 27 फरवरी को तेज किशन को इन जिहादियों ने घर से उठा लिया और तरह-तरह की यातनांयें देने के बाद उसका कत्ल कर उसे बड़गाम में पेड़ पर लटका दिया । 19 मार्च को इखवान-अल-मुसलमीन नामक संगठन के जिहादियों ने बी के गंजु जी जो टैलीकाम इंजनियर का काम करते थे, को घर में घुस कर पड़ोसी मुसलमानों की सहायता से मारा । उसके बाद राज्य सूचना विभाग में सहायक उपदेशक पी एन हांडा का कत्ल किया गया । 70 वर्षीय स्वरानन्द और उनके 27 वर्षीय बेटे बीरेन्दर को मुस्लिम जिहादी घर से उठाकर अपने कैंप में ले गए । वहां उनकी पहले आंखे निकाली गईं ,अंगुलियां काटी गईं फिर उनकी हत्या कर दी गई । मई में बारामुला में सतीन्दर कुमार और स्वरूपनाथ को यातनांयें देने के बाद कत्ल कर दिया गया । भुसन लाल कौल का आंखे निकालने के बाद जिहादियों द्वारा कत्ल कर दिया गया । के एल गंजु जो सोपोर कृषि विश्वविद्याल्य में प्रध्यापक का काम करते थे ,को उनके घर से पत्नी व भतीजे सहित उठाकर झेलम नदी के किनारे एक मस्जिद में ले जाया गया । वहां पर गंजु जी का यातनांयें देने के बाद कत्ल कर दिया गया । भतीजे को नितम्बों में गोली मारकर झेलम में फैंक दिया गया । पत्नी का बलात्कार करने के बाद कत्ल कर दिया गया । सरलाभट्ट जी जो श्रीनगर में सेर ए कश्मीर चिकित्सा कालेज में नर्स थी जेकेएलएफ के जिहादियों ने हासटल से उठाकर कई बार बलात्कार करने बाद कत्ल कर दिया । क्योंकि उसे मुस्लिम जिहादियों और वहां काम करने वाले डाक्टरों के बीच के सम्बन्धों का पता चल चुका था । मई में सोपियां श्रीनगर में बृजलाल उनकी पत्नी रत्ना व बहन सुनीता को मुस्लिम जिहादियों ने अगवा कर लिया । बृज लाल जी को कत्ल कर दिया गया । महिलाओं का बलात्कार करने के बाद उन्हें जीप के पीछे बाँध कर प्रताड़ित करने के बाद उनका कत्ल कर दिया गया । मुस्लिम जिहादियों द्वारा प्रशासन में बैठे अपने आतंकवादी साथीयों के सहयोग से हिन्दुओं पर अत्याचारें का सिलसिला बेरोकटोक जारी था जिसमें जान-माल के साथ-साथ हिन्दुओं की मां-बहन–बेटी भी सुरक्षित नहीं थी । जून आते-आते सैंकड़ों हिन्दुओं का कत्ल किया जा चुका था ।

अल्लाह टायगर्स व जेकेएलएफ के मुस्लिम जिहादियों द्वारा 1990 में हलाल किय गए हिन्दू
दर्जनों महिलाओं की इजत को तार-तार किया जा चुका था । मस्जिदों व उर्दु प्रैस के माध्यम से मुस्लिम जिहाद का प्रचार-प्रसार जोरों पर था । ये जिहाद कश्मीर के साथ-साथ डोडा में भी पांव पसार चुका था। हिन्दुओं में प्रशासन व जिहादी आतंकवादियों के बीच गठजोड़ से दहशत फैल चुकी थी । प्रशासन का ध्यान हिन्दुओं की रक्षा के बजाए मुस्लिम जिहादियों द्वारा हिन्दुओं पर किये जा रहे अत्याचारों व हिन्दुओं के नरसंहारों को छुपाने पर ज्यादा था । परिणामस्वरूप कश्मीर घाटी से हिन्दुओं का पलायन शुरू हो चुका था । जून तक 50,000 से अधिक हिन्दू परिवार घाटी छोड़ कर जम्मू व देश के अन्य हिस्सों में शरण लेने को मजबूर हो चुके थे । 1990 में मुस्लिम जिहादियों द्वारा उजाड़े गए हिन्दुओं का शर्णार्थी शिविर पहली अगस्त 1993 को जम्मू में डोडा के भदरबाह क्षेत्र के सारथल में बस रोकर उसमें से हिन्दुओं को छांट कर 17 हिन्दुओं का मुस्लिम जिहादियों द्वारा नरसंहार किया गया । 14 अगस्त 1993 को किस्तबाड़ डोडा जिले में मुस्लिम जिहादियों ने बस रोककर उसमें से हिन्दुओं को अलग कर 15 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया व हिन्दुओं के साथ सफर कर रहे मुसलमानों को जाने दिया। 5 जनवरी 1996 में डोडा के बारसला गांव में पड़ोसी मुस्लिम जिहादियों द्वारा 16 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया गया 12 जनवरी 1996 डोडा के भदरबाह में मुसलमानों द्वारा 12 हिन्दुओं का कत्ल 6 मई 1996 डोडा के सुम्बर रामबन तहसील में 17 हिन्दुओं का मुस्लिम जिहादियों द्वारा कत्ल 7-8 जून को डोडा के कलमाड़ी गांव में मुसलमानों द्वारा 9 हिन्दुओं का कत्ल 1997 25 जनवरी को डोडा जिला के सम्बर क्षेत्र में मुसलमानों द्वारा 17 हिन्दुओं का कत्ल 26 जनवरी को बनधामा श्रीनगर में 25 हिन्दुओं का कत्ल मुस्लिम जिहादियों द्वारा किया गया । 21 मार्च 1997 को श्रीनगर के दक्षिण में 20 किलोमीटर दूर संग्रामपुर में मुस्लिम जिहादियों द्वारा 7 हिन्दुओं को घर से निकाल कर कत्ल कर दिया गया 7 अप्रैल को संग्रामपुर में 7 हिन्दुओं का कत्ल 15 जून को गूल से रामबन जा रही बस से मुस्लिम जिहादियों द्वारा 3 हिन्दू यात्रियों को उतार कर गोली मार दी गई । 24 जून को जम्मू के रजौरी के स्वारी में 8 हिन्दुओं का कत्ल मुसलमानों द्वारा 24 सितम्बर को स्वारी में ही 7 हिन्दुओं का कत्ल पड़ोसी मुस्लिम भाईयों द्वारा आगे बढ़ने से पहले हम आपको ये बताना जरूरी समझते हैं कि जो भी हिन्दू मारे गए या मारे जा रहे हैं उन्हें मारने वाले सबके सब विदेशी नहीं हैं। इन्हें मारने वाले स्थानीय मुसलमान ही हैं क्योंकि पाकिस्तान से आये मुसलमान 1-2-3 तीन की संख्या में छुपते-छुपाते स्वचालित हथियारों से हिन्दुओं का कत्ल तो कर सकते हैं परन्तु 15-20-40-50 की संख्या में मिलकर हिन्दुओं को हलाल करना,कत्ल से पहले अंगुलियां काटना, उनकी मां-बहन बेटी की इज्जत से खिलवाड़ करना उनके गुप्तांगो पर प्रहार करना,कत्ल से पहले हिन्दुओं के अंग-भंग करना ,आंख निकालना,नाखुन खींचना, बाल नोचना,जिन्दा जलाना,चमड़ी खींचना खासकर महिलाओं के दूध पिलाने वाले अंगो से,गाड़ी के पीछे बांधकर घसीटते हुए तड़पा-तड़पा कर मारना । ये सब ऐसे कार्य हैं जो स्थानीय मुसलमानों व सरकार के सहयोग व भागीदारी के बिना सम्भव ही नहीं हो सकते हैं । क्योंकि अगर स्थानीय मुसलमान व सरकार इस सब में शामिल न होते तो किसी विदेशी मुस्लिम जिहादी को रहने व छुपने का ठिकाना न मिलता। ये बात बिल्कुल सपष्ट है कि हिन्दुओं को कत्ल करने में न केवल जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों का सहयोग व भागीदारी रही है बल्कि देश के केरल जैसे अन्य राज्यों के मुसलमानों ने भी इस हिन्दू मिटाओ-हिन्दू भगाओ अभियान में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया है स्थानीय सहयोग की पुष्टि इन जिहादी हमलों में जिन्दा बचे हिन्दुओं व बाकी देश के मुसलमानों के सहयोग की पुष्टि सुरक्षा बलों द्वारा की गई है । सरकारी सहयोग की पुष्टि करने के हजारों प्रमाण मौजूद हैं । अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी पाकिस्तानी मुस्लिम जिहादी से शादी कर लेती है तो उस पाकिस्तानी को जम्मू कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है परन्तु अगर जम्मू-कश्मीर की वही लड़की भारत के किसी नागरिक से शादी करती है तो उसकी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता समाप्त हो जाती है । हिन्दुओं के कत्ल के आरोपियों को दोषी सिद्ध करने के लिए सरकार अदालत में जरूरी साक्ष्य पेश नहीं करती है। निचली अदालतों द्वारा छोड़े गए दोषियों के विरूद्ध उच्च न्यायालय में अपील तक नहीं की जाती है। ये सब उसी सैकुलर गिरोह व सेकुलर गिरोह की सरकारों द्वारा किया जाता है जो गुजरात के उच्च न्यायालय द्वारा दिय गये हर फैसले को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देकर महाराष्ट्र स्थानान्त्रित करवाता है। कहीं जम्मू-कश्मीर में देशभक्त लोगों की सरकार न बन जाये इसके लिये गद्दारों से भरी पड़ी कश्मीर घाटी में विधानसभा सीटों की संख्या देशभक्तों से भरे पड़े जम्मू से अधिक है जबकि कश्मीर घाटी में आबादी और क्षेत्रफल जम्मू से कम है । सरकार सुरक्षा बलों द्वारा मारे गये मुस्लिम जिहादियों के परिवारों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें हिन्दू मिटाओ हिन्दू भगाओ अभियान को चलाये रखने के लिए प्रेरित करती है ।……… कुल मिलाकर मुस्लिम जिहादियों द्वारा चलाए जा रहे हिन्दू मिटाओ हिन्दू भगाओ अभियान की सफलता के पीछे जम्मू-कश्मीर की देशविरोधी सैकुलर सरकारों का योगदान पाकिस्तान से कहीं ज्यादा है क्योंकि पाकिस्तान की स्थापना का आधार ही मुस्लिम जिहाद है अतः मुस्लिम जिहादी आतंकवाद को आगे बढ़ाना उसकी विदेश नीति का प्रमुख हिस्सा होना उस इस्लाम की विस्तारवादी नीति का ही अंग है जिसका हमला भारत 638 ई. से झेलता आ रहा है । भारत के नागरिकों के जान-माल की रक्षा करना भारत सरकार का दायित्व है न कि पाकिस्तान का । वैसे भी पाकिस्तान बनवाने वाला यही देशद्रोही सैकुलर गिरोह है जिसने सैंकड़ों वर्षों तक मुस्लिम जिहादियों द्वारा हिन्दुओं पर ढाये गये असंख्य जुल्मों से कोई सबक न लेते हुए 1947 में मुसलमानों के लिये अलग देश बनवा देने के बावजूद मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने के बजाए भारत में रख लिया। वो ही मुसलमान आज मुस्लिम जिहादियों को हर तरह का समर्थन व सहयोग देकर आज हिन्दुओं का नामोनिशान मिटाने पर तुले हुए हैं। 1998 25 जनवरी शाम को दो दर्जन मुसलमान श्रीनगर से 30 कि मी दूर गांव वनधामा में आय चाय पी और आधी रात के बाद गांव में 23 हिन्दुओं का कत्ल कर चले गए । सिर्फ विनोद कुमार बच पाया । जिसने अपने मां बहनों रिश्तेदारों को आंसुओं से भरी आंखों से देखा । वहां चारों तरफ खून ही खून बिखरा पड़ा था । 17 अप्रैल को उधमपुर के प्रानकोट व धाकीकोट मे मुस्लिम जिहादियों द्वारा 29 हिन्दुओं का कत्ल किया गया । जिसके बाद इन गांव के लगभग 1000 लोग घर से भाग कर अस्थाई शिवरों में रहने लगे । 18 अप्रैल को सुरनकोट पुँछ में मुसलमानों द्वारा 5 हिन्दुओं का कत्ल 6 मई को ग्राम रक्षा स्मिति के 11 सदस्यों का कत्ल 19 जून को डोडा के छपनारी में 25 हिन्दुओं का कत्ल मुस्लिम जिहादियों द्वारा शादी समारोह पर हमला कर किया गया । 27 जून को डोडा के किस्तबाड़ में 20 हिन्दुओं का कत्ल 27 जुलाई को सवाचलित हथियारों से लैस मुस्लिम जिहादियों ने थकारी व सरवान गांव में 16 हिन्दुओं का कत्ल किया । 8 अगस्त को हिमाचल प्रदेश में चम्बा और डोडा की सीमा पर कालाबन में मुसलमानों द्वारा 35 हिन्दुओं का कत्ल 1999 13 फरवरी को उधमपुर में मुसलमानों द्वारा 5 हिन्दुओं का कत्ल 19 फरवरी को मुसलमानों की इसी गैंग ने रजौरी में 19 व उधमपुर में 4 हिन्दुओं का कत्ल 24 जून को मुस्लिम जिहादियों द्वारा अन्नतनाग के सान्थु गांव में 12 बिहारी हिन्दू मजदूरों का कत्ल 1 जुलाई को मेन्धार पुँछ में 9 हिन्दुओं का मुसलमानों द्वारा कत्ल 15 जुलाई को डोडा के थाथरी गांव में मुसलमानों द्वारा 15 हिन्दुओं का कत्ल 19 जुलाई को डोडा के लायता में 15 हिन्दुओं का मुसलमानों द्वारा कत्ल 2000 28 फरवरी को अन्नतनाग में काजीकुणड के पास 5 हिन्दू चालकों का मुसलमानों द्वारा कत्ल 28 फरवरी को इसी जगह पर 5 सिख चालकों का इन्हीं मुसलमानो द्वारा कत्ल 20 मार्च को जम्मू के छटीसिंहपुरा गाँव में मुसलमानों द्वारा 35 सिखों का कत्ल किया गया । यहां 40-50 जिहादियों ने एक साथ मिलकर सिखों पर हमला कर पुरूषों को अलग कर गोली मार दी । 1अगस्त को पहलगांव में अमरनाथयात्रियों सहित सहित 31 हिन्दुओं का मुसल्मि आतंकवादियों द्वारा कत्ल कर दिया गया । 1अगस्त को ही अन्नतनाग के ही काजीकुण्ड और अछाबल में 27 हिन्दू मजदूरों का कत्ल । 2 अगस्त को कुपबाड़ा में मुसलमानों द्वारा 7 हिन्दुओं का कत्ल इसी दिन डोडा में 12 हिन्दुओं का कत्ल इसी दिन डोडा के मरबाह में 8 हिन्दुओं का कत्ल 24 नवम्बर को किस्तबाड़ में 5 हिन्दुओं का कत्ल 2001 3 फरवरी को 8 सिखों का कत्ल माहजूरनगर श्रीनगर में मुसलमानों द्वारा किया गया । 11 फरवरी को रजौरी के कोट चरबाल में 15 गुजरों का कत्ल किया गया जिसमें छोटे-छोटे बच्चों का भी कत्ल कर दिया गया ।इनका अपराध यह था कि ये जिहादियों के कहे अनुसार हिन्दुओं के शत्रु नहीं बने । मार्च 17 को अथोली डोडा में 8 हिन्दुओं का कत्ल मुसलमानों द्वारा किया गया । मई 9-10 को डोडा के पदर किस्तबाड़ में 8 हिन्दुओं को गला काट कर मुसलमानों द्वारा हलाल कर दिया गया । सब के सब शव क्षत विक्षत थे । 21 जुलाई को बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा पर हमले में मुस्लिम जिहादियों द्वारा 13 हिन्दुओं का कत्ल किया गया । इस हमले मे 15 हिन्दू घायल हुए । जिहादियों ने शेषनाग में बारूदी शुंरगों से विस्फोट कर सैनिकों को गोलीबारी में उलझाकर पवित्र गुफा पर हमला कर भोले नाथ के भक्तों का कत्ल किया । 21 जुलाई को किस्तबड़ डोडा में 20 हिन्दुओं को मुसलमानों द्वारा मारा गया 22 जुलाई को डोडा के चिरगी व तागूड में 15 हिन्दुओं को उनके घरों से निकाल कर मुसलमानों ने कत्ल किया 4 अगस्त को डोडा के सरोतीदार में मुसलमानों द्वारा 15 हिन्दुओं का कत्ल किया गया । 6 अगस्त को स्वचालित हथियारों से लैस तीन मुस्लिम जिहादियों ने जम्मू रेलवेस्टेशन पर हमलाकर 11 लोगों का कत्ल कर दिया व 20 इस हमले में घायल हुए । 2002 1 जनवरी को पूँछ के मगनार गाँव में 6 हिन्दुओं का कत्ल किया गया 7 जनवरी को जम्मू के रामसूर क्षेत्र में 17 व बनिहाल के सोनवे-पोगल क्षेत्र में 6 हिन्दुओं का कत्ल किया गया 17 फरवरी को रजौरी के भामवल-नेरल गाँव में मुसलमानों द्वारा 8 हिन्दुओं का कत्ल किया गया । 14 मई को जम्मू-पठानकोट राजमार्ग पर कालुचक में मुस्लिम जिहादियों द्वारा 33 सैनिकों व सैनिकों को परिवारों के लोगों का कत्ल किया गया जिसमे 6 बस यात्री भी शामिल थे । 13 जुलाई को राजीव नगर(क्वासीम नगर) जम्मू में 28 हिन्दुओं का कत्ल किया गया । मरने वालों में 3 साल का बच्चा भी था । 30 जुलाई को जिहादियों ने अमरनाथ यात्रियों को वापिस ला रही कैब को अन्नतनाग में ग्रेनेड हमले से उड़ा दिया । 6 अगस्त को पहलगांव के पास ननवाव में जिहादियों द्वारा भारी सुरक्षा व्यवस्था में चल रहे आधार शिविर मे अमरनाथ यात्रियों पर हमला कर 9 हिन्दुओं को कत्ल किया गया व 33 को घायल कर दिया । 29 अगस्त को डोडा और रजौरी में 10 हिन्दुओं का कत्ल किया गया। 24 नवम्बर को जम्मू में ऐतिहासिक रघुनाथ मन्दिर पर हमला कर 14 हिन्दुओं का कत्ल किया गया व 53 हिन्दू इस हमले मे घायल हुए 19 दिसम्बर को जिहादियों ने रजौरी के थानामण्डी क्षेत्र मे तीन लड़कियों को बुरका नहीं पहनने की वजह से गोली मार दी ।बुरका पहनाने पर ये मुस्लिम जेहादी इसलिए भी ज्यादा जोर देते हैं क्योंकि बुरके को ये आतंकवादी सुरक्षावलों को चकमा देकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए उपयोग करते हैं। 2003 24 मार्च को सोपियां के पास नदीमार्ग गांव में मुस्लिम जिहादियों द्वार 24 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया गया । 7 जुलाई को नौसेरा में 5 हिन्दुओं का कत्ल किया गया । 2004 5 अप्रैल को अन्नतनाग जिले के पहलाम में 7 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया गया । 12 जून को पहलगाम में ही 5 हिन्दूयात्रियों का कत्ल इन मुस्लिम जिहादियों द्वारा किया गया । 2006 30 अप्रैल को डोडा के पंजदोबी गाँव में मुस्लिम जिहादियों द्वारा 19 हिन्दुओं का कत्ल 1मई को उधमपुर के बसन्तपुर क्षेत्र में मुस्लिम जिहादियों द्वारा 13 हिन्दुओं का कत्ल । 23 मई को श्रीनगर में ग्रेनेड हमले में 7 हिन्दू यात्रियों का कत्ल 25 मई को श्रीनगर में ही 3 हिन्दू यात्रियों का ग्रेनेड हमला कर कत्ल किया गया फिर 31 मई को ही ग्रेनेड हमला कर 21 हिन्दू घायल किय गए 12 जून को फिर ग्रेनेड फैंक कर 1 यात्री का कत्ल किया गया व 31 घायल किये गए । 12 जून को ही मुस्लिम जिहादियों द्वारा अन्नतनाग में 8 हिन्दू मजदूरों का कत्ल किया गया व 5 घायल किये गए । 21 जून को गंदरबल श्रीनगर में मुस्लिम जिहादियों ने ग्रेनेड हमला कर 5 अमरनाथ यात्रियों को घायल किया । 11 जुलाई को श्रीनगर में ही अमरनाथ तीर्थ यात्रियों को निशाना बनाकर किये गए श्रृंखलाबद्ध ग्रेनेड हमलें में 8 लोग मारे गए व 41 घायल हुए । 12 जुलाई को 7 हिन्दू तीर्थ यात्री श्रीनहर ग्रेनेड हमलों में घायल किये गए । हिन्दुओं पर किस हद तक अपने भारत में ज्यादतियां हुई हैं उन्हें भावुक ढंग से लिख पाना हमारे जैसे गणित के विद्यार्थी के लिए सम्भव नहीं । हमारे लिये यह भी सम्भव नहीं कि हम हिन्दुओं पर हुए हर अत्याचार का पूरा ब्यौरा जुटा सकें लेकिन फिर भी जो थोड़े से आंकड़ें हम प्राप्त कर सके वो आपके सामने रखकर हमने आपको सिर्फ यह समझाने का प्रयत्न किया है कि ये जो मुस्लिम जिहादियों और धर्मनिर्पेक्षतावादियों का गिरोह है वो धरमनिर्पेक्षता के बहाने हिन्दुओं को तबाह और बरबाद करने में जुटा है। इस गिरोह से जुड़े एक-एक व्यक्ति के हाथ देशभक्त हिन्दुओं के खून से रंगे हुए हैं ये गिरोह हर उस व्यक्ति का शत्रु है जो भारतीय संस्कृति को अपनी संस्कृति समझता है जो देश को अपनी मां समझता है जो देश में जाति क्षेत्र संप्रदाय विहीन कानून व्यवस्था का समर्थन करता है जो देश में मानव मुल्यों का समर्थन करता है कुल मिलाकर ये राक्षसी गिरोह हर उस भारतीय का शत्रु है जो देशभक्त है । इस गिरोह को न सच्चे हिन्दू की चिन्ता है ,न सच्चे मुसलमान की, न सच्चे सिख ईसाई बौध या जैन की इसे चिन्ता है ,तो सिर्फ जयचन्दों, जिहादियों व धर्मांतरण के ठेकेदारों की जिनके टुकड़ों व वोटों के आधार पर इस देशद्रोही गिरोह की राजनीति आगे बढ़ती है इस गिरोह का एक ही उदेशय है जो ये पंक्तियां स्पष्ट करती हैं न हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा तु इन्सान की औलाद है सैकुलर शैतान बनेगा इन धर्मनिर्पेक्षतावादियों का बढ़पन देखो कितने प्यार से अपने पाले हुए मुस्लिम जिहादियों के हाथों मारे गए हिन्दुओं का दाहसंस्कार करने की इजाजत हिन्दुओं को दे रहे हैं वो भी तब अगर गलती से उस क्षेत्र में जिहादियों से कोई हिन्दू बच जाए तो । कौन कहता है इनमें और राक्षस औरंगजेब में कोई फर्क नहीं फर्क है ये धर्मनिर्पेक्षता के ठेकेदार हिन्दुओं को खुद नहीं मारते सिर्फ मारने वाले मुस्लिम जिहादियों के अनुकूल बाताबरण बनाते हैं, उनको अपना भाई कहर उनका हौसला बढ़ाते हैं, उनको कहीं सजा न हो जाए इसलिए पोटा जैसे सख्त कानून हटाते हैं, सजा हो भी जाए तो सिर्फ फाईल ही तो दबाते हैं सारे देश के हिन्दुओं से इन मुस्लिम जिहादियों की करतूतों को छुपाने के लिए जिहादियों का कोई धर्म नहीं होता ऐसा फरमाते हैं कोई न माने तो अपनी बात पर यकीन दिलवाने के लिए 10-11 हिन्दुओं को जबरदस्ती जेल में डाल कर हिन्दू-आतंकवादी हिन्दू-आतंकवादी चिल्लाते हैं कहीं हिन्दू छूट न जाँयें इसलिए जबरदस्ती मकोका भी लगाते हैं । धर्मनिर्पेक्षता की आड़ में हिन्दुओं के खून से लत-पथ अपने जिहाद व धर्मांतरण समर्थक चेहरे को छुपाते हैं। मुस्लिम व ईसाई देशों से पैसा और समर्थन हासिल करने के लिए राष्ट्रबाद-सर्बधर्म सम्भाव से प्रेरित हिन्दुओं व उनके संगठनों को अक्सर सांप्रदायिक व आंतकबादी कहकर उनपर हमला बोलते हैं। हिन्दू संगठनों द्वारा हिन्दुओं पर हो रहे हमलों का बिरोध करने पर ये देशद्रोही गिरोह प्रतिबंध की मांग उठाकर, दबाब बनाकर अपने हिन्दू मिटाओ हिन्दू भगाओ अभियान को आगे बढ़ाता है । जागो हिन्दू पहचानों इन देश के गद्दारों को, हिन्दुओं के कातिलों को मुस्लिम जिहादियों और धर्मांतरण के ठेकेदारों को । देखो भाई जो कुछ आपने ऊपर के पन्नों में पढ़ा और देखा वो सब आपके साथ न हो इसका अभी से प्रबन्ध कर लो संगठित हो जाओ किसी भी देशभक्त संगठन से जुड़ जाओ कोई अच्छा नहीं लगता है तो नया संगठन बनाओ वरना बहुत देर हो जाएगी । कहा भी गया है घर में आग लगने पर कुआं खोदने का क्या काम काम मुशकिल है असम्भव नहीं। सिर्फ जरूरत है तो जिहादियों और उनके ठेकेदारों को पहचाने की । वो किस संप्रदाय, दल या क्षेत्र से है ये सब भूल जाओ सिर्फ इतना ख्याल रखो कि जो भी इन मुस्लिम जिहादियों-आंतकवादियों-कातिलों को बचाता है, बचाने की कोशिश करता है, बचाने के बहाने बनाता है ,हिन्दुओं के कत्ल को जायज ठहराता है वो ही सब हिन्दुओं का कातिल है और कातिल को जिन्दा छोड़ना मानवता का अपमान है । उठो हमारे प्यारे लाचार हिन्दूओ छोड़ो ये सब झूठी शांति के दिलासे और संगठित होकर टूट पड़ों इस जिहादी राक्षस पर वरना ये जिहादी राक्षस हर हिन्दूघर को तबाह और बर्बाद कर देगा । तड़प-तड़प कर अपमानित होकर निहत्था होकर मरने से बेहतर है एक बार सिर उठाकर संगठित होकर शत्रु से दो-दो हाथ कर लेना वरना जरा सोचो उन बच्चों के बारे में जिन बच्चों ने अपने मां-बाप को अपने सामने कत्ल होते देखा उन भाईयों के बारे में जिन्होंने इन जिहादियों के हाथों अपनी बहन को अपमानित होते देखा सोचो उस पति के बारे मे जिसने अपनी पत्नी का इन जिहादियों के हाथों बलात्कार के बाद कत्ल होते देखा सोचो उन माता-पिता के बारे में जिनके सामने उनके दूध पीते बच्चे इन जिहादियों ने हलाल कर डाले और सोचो मुस्लिम जिहादियों के भाईयों इन धर्मनिर्पेक्षतावादियों के इस सेकुलर गिरोह के बारे में जिसने इन कातिल जिहादियों को बचाने के लिए सब नियम कमजोर कर डाले ।

शनिवार, 17 जनवरी 2009

राष्ट्रीय हितों से खिलवाड़

किसी भी देश की अदालत का यह काम नहीं हो सकता और न होना चाहिए कि वह अपने यहां की सरकार को बार-बार बताए कि घुसपैठ रोकना आवश्यक है और इसे रोकने के लिए इस-इस तरह के उपाय करने चाहिए? यह भारत का दुर्भाग्य है कि सुप्रीम कोर्ट को केंद्रीय सत्ता को चेताना पड़ रहा है कि बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ देश के लिए एक बड़ा खतरा है। यह पहली बार नहीं जब सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से आ बसे बांग्लादेशी नागरिकों को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई हो, लेकिन उसकी सेहत पर कोई असर पड़ता नहीं दिखता। इसमें संदेह है कि सुप्रीम कोर्ट की ताजा फटकार के बाद केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारें चेतेंगी, क्योंकि समाज और राष्ट्रहित उनकी प्राथमिकता सूची में नजर ही नहीं आते। इसका प्रमाण पश्चिम बंगाल सरकार की इस घिसी-पिटी दलील से मिलता है कि राज्य के नागरिकों और बांग्लादेशियों में अंतर करना कठिन है? क्या कोई बताएगा कि अंतर खोजने की समस्या क्यों आ रही है? आखिर ऐसे उपाय क्यों नहीं किए जा रहे जिससे बांग्लादेशी नागरिक भारत में प्रवेश ही न करने पाएं? अभी हाल में गृहमंत्री पी चिदंबरम ने यह कह कर देश को चौंकाया था कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि बांग्लादेशियों को वर्क परमिट क्यों जारी किए जा रहे हैं? अब यदि हमारे गृहमंत्री को भी इसकी जानकारी नहीं तो फिर इसका मतलब है कि कोई यह देखने-सुनने वाला नहीं कि बांग्लादेश की सीमा पर क्या हो रहा है? आश्चर्य नहीं कि इसी कारण सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा नहीं हो पा रहा है। यह आघातकारी है कि सुप्रीम कोर्ट ने न केवल यह पाया कि उसने चार वर्ष पहले विवादास्पद आईएमडीटी अधिनियम रद करते हुए जो निर्देश जारी किए थे उनकी अनदेखी की गई, बल्कि यह भी महसूस किया कि बहुद्देशीय पहचान पत्र प्रदान करने का काम कच्छप गति से हो रहा है। बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ को रोकने और अवैध रूप से आ बसे वहां के लोगों को बाहर निकालने में जानबूझकर बरती गई लापरवाही का दुष्परिणाम यह है कि पिछले दस वर्षो में बांग्लादेशियों की संख्या एक करोड़ से बढ़कर दो करोड़ हो गई है। यह और कुछ नहीं भारतीय शासनतंत्र के निकम्मेपन का प्रमाण है। जो शासन-प्रशासन अपने समक्ष उपस्थित खतरों से मुंह मोड़ने में लगा रहता हो वह देश को संकट की ओर ले जाने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता। देश के नागरिकों को पहचान पत्र देने का निर्णय बहुत पहले ले लिया गया था, लेकिन अभी तक वह सरकारी फाइलों में ही कैद है। यदि सभी नागरिकों को पहचान पत्र दिया जा सके तो तमाम समस्याओं का समाधान संभव है, लेकिन शायद हमारे अधिसंख्य नेताओं का हित समस्याओं के बने रहने में ही है। यही वे नेता हैं जो कदम-कदम पर नाकारापन दिखाते हैं और जब न्यायपालिका उन्हें फटकारती है तो यह रोना रोते हैं कि देखिए, कार्यपालिका के काम में हस्तक्षेप हो रहा है। क्या वे यह चाहते हैं कि न्यायपालिका भी उनकी तरह आंख मूंद कर बैठ जाए और देश को गर्त में जाने दे? यह जानना कठिन है कि न्यायपालिका की चेतावनी नेताओं और नौकरशाहों पर असर करती है या नहीं, लेकिन आए दिन की ऐसी चेतावनियों से देश-दुनिया को यही संदेश जाता है कि भारत एक ऐसा ढुलमुल राष्ट्र है जहां राष्ट्रीय हित भी ताक पर रख दिए जाते हैं।

सोमवार, 12 जनवरी 2009

अपनी बेटियों की शादी आतंकियों से करो वरना!

लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगाने के बाद तालिबान ने अपने प्रभाव वाले पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत में एक नया फरमान जारी किया है। संगठन ने लोगों को उनकी बेटियों की शादी आतंकियों से करने का आदेश दिया है। ऐसा न करने वालों को भयानक परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने की धमकी भी दी गई है। मस्जिदों से घोषणाएं कर इस अभियान को गति दी जा रही है।

हाल ही में कुछ पीड़ित महिलाओं ने उग्रवादियों का फरमान मानने के बजाय प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई। इसके बाद ही ऐसे मामले सामने आए। पेशावर में एक प्राइमरी स्कूल की टीचर सलमा ने एक अखबार को बताया कि तालिबान ने लोगों को मस्जिदों में यह घोषणा करने के लिए कहा है कि क्या उनके यहां अविवाहित लड़कियां हैं ? ऐसा होने पर उनका निकाह किया जा सकेगा। उन लड़कियों का निकाह उग्रवादियों से होगा।

अखबार में 30 वर्षीय सलमा के हवाले से कहा गया है कि सीधे तौर पर न मानने की स्थिति में लड़कियों का जबरन निकाह कराया जाएगा। सलमा ने बताया कि स्वात घाटी में तालिबान ने महिलाओं को धमकी दी है कि अगर वह अपने घरों के बाहर बिना पहचान पत्र या पुरुष रिश्तेदार के बिना पाई गईं , तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। इस बीच सरकार द्वारा शुरू किए गए राहत कार्यक्रम में महिलाओं के रजिस्ट्रेशन कराने पर तालिबान ने शुक्रवार को रोक लगा दी और पाकिस्तान के अशांत उत्तरी वजीरिस्तान कबायली इलाके में सह-शिक्षा वाले स्कूलों को पांच जनवरी तक बंद करने का निर्देश दिए।

शुक्रवार के नमाज के बाद इलाके के सभी मस्जिदों के मौलवियों ने इस संबंध में घोषणा की। केंद्रीय जामिया मस्जिद के मौलवी कारी रोमन ने तालिबान के निर्णय को पढ़कर सुनाया। कुछ मौलवियों ने तालिबान के हाफिज बहादर गुट के हवाले से कहा कि सरकार द्वारा गरीब महिलाओं के लिए शुरू किया गया बेनजीर आय सहायता कार्यक्रम के फॉर्म को राष्ट्रीय पहचान कार्ड के आधार पर भरा जा रहा है और कार्ड में फोटो लगे हुए हैं। तालिबान ने कहा कि यह महिलाओं का अपमान है और उन्हें कार्यक्रम के लिए पंजीकरण नहीं कराना चाहिए।

पशुपतिनाथ मंदिर विवाद

नेपाल में प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ ने पशुपतिनाथ मंदिर में भारतीय पुजारियों को पूजा करने की अनुमति भले ही दे दी हो, लेकिन यह विवाद खत्म होने की बजाए और बढ़ता दिख रहा है।

पशुपति क्षेत्र विकास न्यास (पीएडीटी) के सदस्य सचिव ने मंदिर में नियुक्त दक्षिण भारतीय भट्ट पुजारियों पर चढ़ौती के लाखों रुपए की हेर-फेर करने का आरोप लगाया है, वहीं भारतीय पुजारियों की नियुक्ति का समर्थन कर रहे मंदिर की देखभाल करने वाले राजभंडारियों ने आरोप लगाया है कि भारतीय पुजारियों को इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया था।भारतीय पुजारियों को हटाए जाने और उनकी जगह नेपाली पुजारियों की नियुक्ति से नेपाली और भारतीय हिन्दू समाज में असंतोष उत्पन्न हो गया था।इस मुद्दे में पूर्व नरेश ज्ञानेन्द्र और नेपाली कांग्रेस के सख्त रुख और भारतीय नेताओं की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण नेपाली प्रधानमंत्री को भारतीय पुजारियों की बहाली करनी पड़ी है।प्रचंड के नेतृत्व वाली नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने भारत पर उसके आंतरिक राजनीतिक एवं सांस्कृतिक हमलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है।

पीएडीटी के सदस्य सचिव परमानंद शक्य ने आज यहां रिपोर्ट्स क्लब में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “यह राष्ट्रीयता का सवाल है, इसलिये हम नेपाली पुजारियों की नियुक्ति करेंगे। भारतीय पुजारियों की नहीं”।उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हो रही थीं। चढ़ावे का कोई हिसाब किताब नहीं था। उन्होंने कहा कि न्यास का प्रमुख उद्देश्य मंदिर की व्यवस्थ को दुरस्त करना है।शाक्य के अनुसार मंदिर में प्रतिदिन लगभग 40 हजार रपए का चढ़ावा सामान्य दर्शनार्थियों से आता है, जबकि रुद्राभिषेक एवं अन्य विशेष पूजा से अलग दक्षिणा आती है। ये सारा धन कहां जाता है, इसका कोई हिसाब नहीं है। शाक्य ने यह भी बताया कि अब संरक्षक पुजारियों की भूमिका में काम कर रहे दक्षिण भारतीय पुजारियों ने चढ़ावे में से कोई भी हिस्सा लेने से मना कर दिया है तथा वेतन एवं भत्तों की मांग की है, जिसपर न्यास सहमत हो गया है। उधर, मंदिर के संरक्षक शिवशरण राजभंडारी ने कहा कि प्रशासन ने दक्षिण भारतीय पुजारियों को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था।

उन्होंने कहा कि न्यास द्वारा नियुक्त नए कर्मचारी भारतीय पुजारियों के प्रति अत्यंत असहयोग पूर्ण रवैया अपना रहे थे। इस वजह से उनके सामने इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा। राजभण्डारी ने मांग की पीएडीटी के मौजूदा कानून में संशोधन कर न्यास का संरक्षक देश के शासन प्रमुख यानि प्रधानमंत्री की बजाये राष्ट्र प्रमुख यानि राष्ट्र्रपति को बनाया जाए।उधर, नेकपा (माओवादी) की केन्द्रीय कार्यसमिति की बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर भारत और अमेरिका पर नेपाल की राष्ट्रीय स्वतंत्रता एवं रक्षा सहित प्रमुख आंतरिक मामलों में लगातार हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।प्रस्ताव में कहा गया कि भारत अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण नेपाल के आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक मामलों में जबरदस्ती हस्तक्षेप कर रहा है।इसी तरह अमेरिका के राजदूत जगह-जगह माओवादियों के खिलाफ भाषण दे रहे हैं। माओवादियों ने भारत पर नेपाल के जलसंसाधनों पर एकाधिकार करने की कोशिशों का भी आरोप लगाया है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पशुपतिनाथ मंदिर विवाद आगे और बड़ा रूप ले सकता है।

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