शनिवार, 9 अगस्त 2008

संघर्ष समिति प्रतिनिधिमंडल से वार्ता को तैयार


Aug 09, 04:32 pm

जम्मू। जम्मू में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे समूह ने कश्मीर घटी से ताल्लुक रखने वाले तीन नेताओं को बाहर रखने की अपनी मांग स्वीकार किए जाने के बाद गृहमंत्री शिवराज पाटिल के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करने का फैसला किया।

संघर्ष समिति ने शिष्टमंडल से नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सैफुद्दीन सोज को अलग रखने की मांग माने जाने के बाद बातचीत शुरू करने पर सहमति व्यक्त की।

श्री अमरनाथ संघर्ष समिति [एसएएसएस] के प्रवक्ता अंबेडकर गुप्ता ने कहा कि हम केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल के नेतृत्व वाले शिष्टमंडल से बातचीत करने के लिए तैयार हैं क्योंकि हमारी मांगे स्वीकार कर ली गई हैं और तीनों नेताओं को पैनल से अलग कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हम बातचीत करने को तैयार है क्योंकि हम अपना पक्ष केंद्र सरकार के समक्ष रखना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों में कहा गया है कि पाटिल हमसे अलग से मिलना चाहते हैं, हम उनसे मिलने के लिए तैयार हैं। राज्यपाल एन एन वोहरा भी स्वेच्छा से बैठक से दूर रहे और कश्मीर चले गए। समिति ने वोहरा को हटाए जाने की मांग की थी।

श्री अमरनाथ संघर्ष समिति के प्रवक्ता अंबेडकर गुप्ता ने कहा कि हम केंद्रीय पैनल से मिल कर आंदोलन और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड को फिर से भूमि हस्तांतरित करने की मांग पर अपनी राय बताना चाहते हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि अगर अब्दुल्ला महबूबा और सोज पैनल में होंगे तो वे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का बहिष्कार करेंगे।

गुप्ता के अनुसार पैनल के कश्मीरी नेता हमारी मांगों और आंदोलन के बारे में जानते हैं। हमने भी केंद्रीय नेताओं को तथ्यों से अवगत कराया है। उन्होंने ने कहा कि वे [कश्मीरी नेतृत्व] जम्मू के खिलाफ विषवमन कर रहे हैं। हम उनसे बात नहीं करेंगे क्योंकि इस मुद्दे के लिए वे ही जिम्मेदार हैं।

इससे पहले एसएएसएस के समन्वयक लीला करण शर्मा ने कहा था कि हम प्रतिनिधिमंडल का बहिष्कार करेंगे क्योंकि महबूबा, फारूक और सोज उसमें शामिल हैं। अमरनाथ भूमि मुद्दे के लिए वे ही जिम्मेदार हैं।

पाटिल के नेतृत्व में 18 सदस्यीय सर्वदलीय दल जम्मू में जारी हिंसा के कारण उत्पन्न स्थिति के आकलन के लिए यहां पहुंच गया है। यह हिंसा अमरनाथ भूमि हस्तांतरण के मुद्दे को लेकर हो रही है।

प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के अरुण जेटली, सपा के अमर सिंह, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, कांग्रेस की मोहसिना किदवई, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, जदयू के के सी त्यागी शामिल हैं। इसके अलावा नरेश गुजराल [अकाली दल], अख्तर हसन [बसपा], रामचंद्र पासवान [लोजपा], रघवुंश प्रसाद सिंह [राजद], ए राजा [द्रमुक], पृथ्वीराज चव्हाण, श्रीप्रकाश जायसवाल व सैफुद्दीन सोज [तीनों कांग्रेस] भी प्रतिनिधिमंडल में हैं।

एसएएसएस उस निर्णय को वापस लेने की मांग कर रही है जिसके तहत करीब 100 एकड़ वन भूमि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड [एसएएसबी] को हस्तांतरित किए जाने पर रोक लगा दी गई है।




फ़ॉलोअर